खबर छत्तीसगढ़ 29

0
IMG-20251121-WA0000.jpg

प्रशासन के दावों की पोल खुली: निरीक्षण के बावजूद सड़कों पर भीख मांगते मिले बच्चे,,,,


सूरजपुर। सड़क पर भीख मांगते मासूम बच्चों का मुद्दा सामने आने के बाद जिला प्रशासन सक्रिय तो दिखाई दिया, लेकिन जमीनी हालात अभी भी बदले हुए नहीं दिखते। प्रशासन ने मंगलवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दावा किया कि सूरजपुर शहर के प्रमुख 25 स्थानों पर निरीक्षण किया गया, जहां एक भी बच्चा भीख मांगते नहीं मिला। लेकिन शहर का वास्तविक दृश्य इस दावे पर सवाल खड़े कर रहा है।
शहर के कई इलाकों में आज भी बच्चे कटोरा लिए बैठे आसानी से दिखाई दिए, जिससे प्रशासन की कार्यवाही सतही या कागजी साबित होती नजर आ रही है।
प्रशासन का दावा—“25 स्थानों का निरीक्षण, एक भी बच्चा नहीं मिला”
जारी विज्ञप्ति में दावा किया गया कि शहर के— होटल, किराना दुकान, मेडिकल स्टोर, पान दुकान, कपड़ा दुकान तथा अग्रसेन चौक, माताकर्मा चौक, सुभाष चौक, पुराना व नया बस स्टैंड जैसे कुल 25 स्थानों पर निरीक्षण कर टीम ने कोई बच्चा भीख मांगते नहीं पाया। लेकिन शहर की वास्तविक स्थिति बताती है कि-पुराना बस स्टैंड, माता कर्मा चौक, न्यू मार्केट, मेडिकल स्टोर्स के सामने पान दुकानों और छोटे बाजारों के आस-पास कई बच्चे आज भी कटोरा लेकर भीख मांगते नजर आए। यह साफ़ संकेत है कि प्रशासन का निरीक्षण या तो सतही रहा या फिर केवल काग़ज़ी औपचारिकता बनकर रह गया।
सवाल उठता है—निरीक्षण हुआ कहाँ…?
अगर जिला बाल संरक्षण इकाई, चाइल्डलाइन एवं अन्य अधिकारियों की टीम वास्तव में 25 स्थानों तक पहुँची होती, तो अगले ही दिन बच्चे उसी स्थानों पर फिर उसी तरह नजर नहीं आते। यह स्थिति इस बात की ओर इशारा करती है कि निरीक्षण में गंभीरता नहीं रही और रिपोर्ट सिर्फ कागज़ों तक सीमित रह गया।
मंत्री के गृह जिले में ही व्यवस्थाएँ लचर
मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सूरजपुर महिला एवं बाल विकास मंत्री का गृह जिला है। जिला बाल संरक्षण इकाई, कार्यक्रम अधिकारी, चाइल्डलाइन टीमें सभी सक्रिय होने के बावजूद— बच्चे सड़कों पर, कुपोषण का खतरा, शिक्षा से दूरी, सुरक्षा को खतरा जैसे मुद्दे जस के तस बने हुए हैं। यह स्थिति विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
समिति का आरोप—“विज्ञप्ति से हालात नहीं बदलते”
हमर उत्थान सेवा समिति के अध्यक्ष चंद्रप्रकाश साहू ने जिला प्रशासन की कार्रवाई पर प्रश्न उठाते हुए कहा—
“सड़क पर भीख मांगते बच्चे साफ दिख रहे हैं। ऐसे में यह दावा करना कि निरीक्षण में कोई बच्चा नहीं मिला, वास्तविकता से मेल नहीं खाता। कार्रवाई काग़ज़ पर नहीं, मैदान में दिखनी चाहिए।”

समिति ने मांग रखी—

1. वास्तविक रेस्क्यू अभियान चलाया जाए

2. बच्चों को सुरक्षित परिसर व पुनर्स्थापना मिले।

3. जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यप्रणाली की जांच हो।

बड़ा सवाल—इन मासूमों का जिम्मेदार कौन?
प्रशासन ने विज्ञप्ति जारी कर औपचारिकता पूरी कर ली, लेकिन सड़कों पर भीख मांगते बच्चों का कटोरा आज भी भरा नहीं, बल्कि खाली ही है।
बच्चों के हाथ से यह कटोरा कब छिनेगा और किताबें कब थमाई जाएंगी— यह अब जिला प्रशासन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *