खबर छत्तीसगढ़ 29
मतदाता सूची पुनरीक्षण के लिए रायपुर ग्रामीण ही क्यो शहर की विधानसभा सीट क्यो नही?,, विमलेश तिवारी,
मतदाता सूची पुनरीक्षण गुपचुप तरीके से क्यो? क्या गड़बड़ियों छिपाई जा रही? राजनतिक दल को शामिल क्यो नही किया गया?
सूरजपुर 04 अक्टूबर 2025 को रायपुर ग्रामीण विधानसभा में मतदाता सूची पुनरीक्षण गुपचुप तरीके से करने पर सवाल उठाते हुए छत्तीसगढ़ प्रदेश किसान कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष व सरगुजा संभाग के वरिष्ठ कद्दावर कांग्रेसी नेता विमलेश तिवारी ने कहा कि आखिर चुनाव आयोग मतदाता सूची परीक्षण गुपचुप तरीके से क्यों कर रहा है? राजनीतिक दल एवं आम जनता से क्या छुपाया जा रहा है? मतदाता पुनरीक्षण के लिए रायपुर ग्रामीण विधानसभा को ही क्यों चुना गया? शहर के विधानसभा सीटो को पायलट प्रोजेक्ट की तरह क्यों नहीं लिया गया? बहुत सारे सवाल खड़ा हो रहा है? चुनाव आयोग को मतदाता पुनरीक्षण के पहले सभी राजनीतिक दलों को 2003 एवं 2025 की मतदाता सूची उपलब्ध करानी चाहिए पुनरीक्षण कार्यक्रम का सार्वजनिक प्रकाशन होना चाहिए तभी कार्यक्रम सफल होगा। किसान कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष विमलेश तिवारी ने कहा कि चुनाव आयोग ने मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण के लिए रायपुर ग्रामीण विधानसभा को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लिया है। मतदाता सूची पुनरीक्षण में 2003 की मतदाता सूची को आधार बनाया जाएगा रायपुर ग्रामीण में उरला भानपुरा उरकुरा सोनडोंगरी सरोरा जैसे औद्योगिक क्षेत्र हैं सिलतरा औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वाले भी रायपुर ग्रामीण में ही निवास करते हैं बड़ी संख्या में वहां लोग 2003 के बाद दो दशक से दूसरे प्रदेश से आकर काम कर रहे हैं ऐसे में उनका नाम 2003 की मतदाता सूची में नहीं होगा। इस आधार पर नाम काट कर प्रोपोगंडा किया जाएगा। जबकि 2003 के बाद की मतदाता सूची में उन सभी का नाम दर्ज है क्योंकि वह यहां दशकों से स्थाई रूप से निवास करते हैं पायलट प्रोजेक्ट के रूप में रायपुर उत्तर विधानसभा या दक्षिण विधानसभा या अन्य विधानसभा को क्यों नहीं लिया गया? इसका जवाब चुनाव आयोग को देना चाहिए?


प्रदेश किसान कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष विमलेश तिवारी ने कहा कि रायपुर ग्रामीण में बिहार प्रदेश से लोग आकर औद्योगिक क्षेत्र में काम करते हैं इनकी संख्या बहुत है चुनाव आयोग क्या इन लोगों को चिन्हांकित कर सूची भाजपा को देने के लिए ग्रामीण विधानसभा में पुनरीक्षण कर रही है ताकि भाजपा को बिहार चुनाव में इसका लाभ मिल सके। चुनाव आयोग की मंशा स्पष्ट नहीं है। चुनाव आयोग शहर के किसी अन्य विधानसभा सीट में पायलट प्रोजेक्ट शुरू करें ।
