खबर छत्तीसगढ़ 29
बदहाल हुई स्वास्थ्य व्यवस्था
मरीजों को दवाएं मिलने में हो रही देरी,,समय पर जांच और इलाज न होने से काफी दिक्कतों का करना पड़ रहा सामना,, इधर एन एच एम कर्मचारियो की हड़ताल नहीं हो रही समाप्त,,अब तो मरीजों को हों रही दिक्कतों की माफी मांग रहे एन एच एम कर्मचारी,,इधर मरीज भी कह रहे की वापस आएं कर्मचारी सरकार खत्म करवाए हड़ताल,,,,,
स्थान – सूरजपूर
संपादकीय – रमीज राजा खान (टीपू)
सूरजपुर- स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने व बढ़ाने कई दावे किए जाते हैं,,लेकिन समय समय पर ऐसी स्थिति निर्मित हो जाती है जो इसे बदहाल कर देती है,,पूरे प्रदेश के साथ साथ सूरजपूर में भी जारी एन एच एम कर्मचारियो की हड़ताल ने स्वास्थ्य व्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाला है,,,इसका नतीजा यह है कि हास्पिटलो में आने वाले मरीजों के इलाज में देरी हो रही है उन्हें इंजेक्शन,दवाएं,बाटल देरी से लग रहें हैं,,ऐसे में वैकल्पिक व्यवस्था से स्वास्थ्य सुविधाओं को मुहैया कराने की बात तो कही जा रही है लेकिन वास्तविकता कुछ और बयां करते नजर आ रही है,,वही इन असुविधाओं को लेकर कही न कही जिम्मेदार एन एच एम कर्मचारियो ने असुविधा के लिए माफी मांगते नजर आ रहे हैं,, देखिए मरीजों को हों रही परेशानियों को दिखाती हमारी यह खास रिपोर्ट,,,,,
आप जो हैरान और परेशान लोगों को देख रहे हैं वह किसी न किसी बिमारियों से पिडित बिमार यानी मरीज हैं,, यह मरीज जिले के दुर-दराज क्षेत्रों से अपने जीवन की रक्षा व स्वास्थ्य में सुधार लाने हास्पिटलों में पहुंच रहे हैं,,लेकिन बिते 20- 22 दिनों से हास्पिटलों में पहुंचने वाले मरीजों को हों रही दिक्कतों ने स्वास्थ्य व्यवस्था पर करारा प्रहार किया है साथ ही सवाल भी खड़े हो गए हैं,,,आप स्वयं ही अंदाजा लगा सकते हैं कि जहां इन एन एच एम कर्मचारियो की हड़ताल नहीं थी तो भी स्वास्थ्य कर्मचारियों की कमी थी जिसके चलते सरकारी हास्पिटलो में पहुंचे मरीजों को लाइन लगाकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता था तो वहीं अब सोचिए कि हर जिले से लगभग 5 सौ से 6 सौ स्वास्थ्य कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं ऐसे में बिमारियों से त्रस्त मरीजों को कितनी परेशानियां उठानी पड़ रही है,,कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि एन एच एम कर्मचारी यदि हड़ताल से वापस नहीं लौटे तो सरकारी हास्पिटलो में मरीजों की भीड़ बढ़ जाएगी और सबसे ज्यादा परेशान वो गरीब तबका होगा जिसके पास कोई और विकल्प नहीं है,,जो सिर्फ सरकारी हास्पिटलो के भरोसे है,,,,,
जहां अन्य दिनों के अनुसार हास्पिटलों में मरीजों को जैसे-तैसे इलाज तो मिल रहा है लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या हर मरीज के इलाज में देरी कि जा सकती है,,अभी तो नर्सिंग कॉलेज की छात्र छात्राओं से काम कराया जा रहा है,, नर्सिंग के छात्र इंजेक्शन,बाटल लगा तो रहे हैं लेकिन सवाल यह भी है कि क्या उन्हें पूर्णतःअनुभव है इन कार्यों के करने का और कही कोई घटना घटे तो उसका जिम्मेदार कौन होगा,,एक ओर जहां बदलते मौसम ने बिमारियों के साथ मरीजों में भी इजाफा किया है तो ऐन वक्त पर एन एच एम स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल ने आमलोगों की दिक्कतों को बढ़ा दिया है,,ऐसे में प्रशासनिक दावों और दबावों के वार्तालाप के बाद भी एन एच एम कर्मचारियो की हड़ताल समाप्त नहीं हो रही है और शासन प्रशासन व एन एच एम कर्मचारी दोनों ही बैकफुट पर जाने को तैयार नहीं है जिससे स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल हो चुकी है,,,,,
बाइट – दायमा टोपने,,जिला अध्यक्ष,,एन एच एम कर्मचारी संघ सूरजपूर
वीओ – एक कहावत है कि करें कोई और भरें कोई,,इस कहावत को शासन-प्रशासन व एन एच एम कर्मचारियो ने सच कर दिखाया है,,एक ओर जहां एन एच एम कर्मचारियो की हड़ताल जारी है और स्वास्थ्य व्यवस्था नर्सिंग के प्रशिक्षार्थियों के भरोसे चल रही है और शासन प्रशासन के अल्टीमेटम व वादे हड़तालीयों को वापस नहीं करा पा रहे हैं,, इसको लेकर आम जनता पीस रही है,,हास्पिटलो में मरीजों की संख्या बढ़ रही है मजबूरन उन्हें सरकारी की जगह प्रायवेट हास्पिटलो क्लिनिकों में इलाज कराने मजबूर होना पड़ रहा है,, ऐसे में आमजन को जहां अतिरिक्त खर्च का भार वहन करना पड़ रहा है साथ ही इलाज के लिए चक्कर भी लगाना पड़ रहा है,,, जिससे सरकारी हास्पिटलो में मरीजों की भीड़ बढ़ती जा रही है,,,,,
बाइट – अजय मरकाम,,, सिविल सर्जन सूरजपूर
बहरहाल इस व्यवस्था ने स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल कर दी है,,,तो वहीं एन एच एम कर्मचारी सार्वजनिक रूप से जनता से माफी मांग रहे हैं और अपनी माली हालत और परिवार के भरण पोषण में हों रही दिक्कतों सहित अन्य रोजमर्रा के जरुरतों की पूर्ति हेतु मजबुरन हड़ताल करने की बात कह रहे हैं,,साथ ही कहते हैं कि हमारे साथ वादा खिलाफी नहीं की गई होती तो हम क्यु हड़ताल करते,, इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार मानते हैं और कहते हैं कि सुविधाएं तो मुहैया कराई जा रही है लेकिन कहीं न कहीं हड़ताल के कारण कार्यों को सुचारू रूप से करने में दिक्कत हो रही है,,आगे कहते हैं और अपेक्षा करते हैं कि एकाएक कर्मचारियों की संख्या घटने से मरीजों को दिक्कत आ रही है और इस सीजन में बिमारियों में वृद्धि होती है ऐसे में मरीजों की बढ़ती संख्या ने अतिरिक्त भार डाल दिया है,,कही न कही एन एच एम कर्मचारियो को हड़ताल समाप्त कर वापस लौटना चाहिए,,अब ऐसे में देखने वाली बात होगी कि एन एच एम कर्मचारियो की हड़ताल कब खत्म होती है और खासकर सूरजपूर जिले जैसे पिछड़े क्षेत्रों के लोगों को सुचारू रूप से स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिलेगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा,,,,,
