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सूरजपुर भटगांव में एक गर्भवती महिला अपने गांव से सास के साथ प्रसव कराने अस्पताल पहुंची, लेकिन वहां चार घंटे तक एक भी डॉक्टर, नर्स या अन्य स्वास्थ्य कर्मचारी मौजूद नहीं मिला.


मानवता को शर्मशार करने वाले इस घटना के चार घंटे के दर्द और इंतजार के बाद महिला को मजबूरी में अस्पताल के फर्श पर ही बच्चे को जन्म देना पड़ा.,,



सूरजपुर जिले के भैयाथान विकासखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भटगांव में 9 अगस्त को मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया. जहां एक गर्भवती महिला अपने गांव से सास के साथ प्रसव कराने अस्पताल पहुंची, लेकिन वहां चार घंटे तक एक भी डॉक्टर, नर्स या अन्य स्वास्थ्य कर्मचारी मौजूद नहीं मिला. चार घंटे के दर्द और इंतजार के बाद महिला को मजबूरी में अस्पताल के फर्श पर ही बच्चे को जन्म देना पड़ा.

महिला ने फर्श पर दिया बच्चे को जन्म, डॉक्टर रहे नदारत
जानकारी के अनुसार, महिला जब प्रसव पीड़ा में भटगांव स्वास्थ्य केंद्र पहुंची, तो अस्पताल मानो सुनसान पड़ा था, न कोई डॉक्टर, न नर्स, न वार्ड, इसी दौरान भटगांव निवासी जितेंद्र जायसवाल भी अपने परिचित को रेबीज का इंजेक्शन दिलाने अस्पताल पहुंचे, लेकिन उन्हें भी कोई जिम्मेदार व्यक्ति नहीं मिला. डॉक्टरों को मोबाइल पर कॉल किया गया, लेकिन किसी ने फोन उठाना जरूरी नहीं समझा.

महिला दर्द से कराहती रही और चार घंटे बाद अस्पताल के फर्श पर ही बच्चे को जन्म देना पड़ा. सबसे दर्दनाक पल खून से सना फर्श और उसे खुद अपने हाथों से साफ करती प्रसूता. बच्चे को बेड पर लिटाकर खुद जमीन पर बैठी रही ये महिला. ये नज़ारा सिर्फ दर्द नहीं, सिस्टम की बेरहमी की तस्वीर है.

मंत्री विधायकों के क्षेत्र में ये हालात विडंबना ये है कि यह अस्पताल भटगांव विधानसभा मुख्यालय में है, जिसकी विधायक खुद महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े हैं. यहां यह पहली बार नहीं हुआ… आए दिन डॉक्टर और स्टाफ समय पर नहीं आते… कई बार मरीज इलाज के इंतजार में जिंदगी गंवा देते हैं. ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर राकेश सिंह ने जांच का भरोसा दिया है… लेकिन यहां सबको पता है जांच का मतलब होता है… फाइल अलमारी में डाल देना… और फिर वही लापरवाही, वही खिलवाड़. सबसे हैरानी की बात राज्य के स्वास्थ्य मंत्री भी इसी सरगुजा संभाग से हैं. अगर शहरी अस्पतालों का यह हाल है, तो सोचिए… ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत कैसी होगी.
भटगांव अस्पताल का यह मामला सिर्फ लापरवाही नहीं, यह व्यवस्था की नाकामी और संवेदनहीनता का जीता-जागता सबूत है. सवाल सीधा है – क्या इस गरीब महिला को न्याय मिलेगा? या फिर जांच की फाइल… हमेशा की तरह धूल फांकती रहेगी… और डॉक्टर-माफिया गरीबों की जिंदगी से खिलवाड़ करते रहेंगे?

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