खबर छत्तीसगढ़ 29
महाविद्यालय के प्रार्चाय को हटायें जाने के आदेश से नाराज छात्रों ने कलेक्टर के नाम एसडीएम को सौंपा ज्ञापन,, सहायक प्राध्यापक को प्राचार्य बनाए जाने से नाराज छात्रों ने दी आंदोलन की चेतावनी,,पांच दिनों के भीतर उचित कार्यवाही कि मांग,,
सूरजपूर– सूरजपूर जिले के भैयाथान स्थित पंडित रविशंकर त्रिपाठी शासकीय महाविद्यालय के छात्रों ने कलेक्टर सूरजपुर के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा है,,जहां महाविद्यालय के समस्त छात्रों ने मांग की है कि वर्तमान में जो महाविद्यालय के प्राचार्य रंजीत सातपुते है उन्हें हटाने उच्च शिक्षा आयुक्त ने आदेश जारी किया है वही उनके जगह पर महाविद्यालय के सहायक अध्यापक चन्द्रभुषण मिश्र जों पूर्व में इस महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य रहे हैं उन्हें पुनः नियुक्त किए जाने आदेश जारी किया गया है,,जिसका छात्रों ने विरोध किया है और वर्तमान प्राचार्य रंजीत सातपुते को ही प्राचार्य के बनाए रखने ज्ञापन सौंपा है,,जहां छात्रों ने बताया कि दिनांक 18/07/2025 को आयुक्त उच्च शिक्षा के द्वारा पत्र क्रमांक 279/724 जारी किया गया है जिसमें वर्तमान प्राचार्य रंजीत सातपुते को हटाकर उनके जगह सहायक प्राध्यापक चन्द्रभुषण मिश्र को प्राचार्य बनाए जाने आदेश जारी किया है,,जबकि चन्द्रभुषण मिश्र पूर्व में इस महाविद्यालय (कालेज) के प्राचार्य पद पर लगभग एक से डेढ़ वर्ष तक रहें इस दौरान छात्रहित की अनेक समस्या और शिकायत आई जिसका न तो निराकरण किया गया और नहीं कोई उचित व्यवस्था की गई वही इनके विरुद्ध जनप्रतिनिधियों को भी शिकायत प्राप्त होती रही और जनप्रतिनिधियों ने इनकी कार्यशैली की शिकायत की,,जहां अनेक शिकायतों के बाद इन्हें हटाया गया था और रंजीत सातपुते जी को प्राचार्य बनाया गया था वही रंजीत सातपुते जी के प्राचार्य पद पर रहते हुए अनेक कार्य छात्रहित में हुए और महाविद्यालय को एक नई दिशा मिली तो वहीं जनप्रतिनिधियों ने भी रंजीत सातपुते जी की कार्यशैली की सराहना की,,वही अब उच्च शिक्षा आयुक्त ने अकारण ही आदेश जारी कर रंजीत सातपुते को हटाकर चन्द्रभुषण मिश्र को प्राचार्य बनाए जाने आदेश जारी कर दिया जों सरासर अनैतिक है और छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ है,,जबकि चन्द्रभुषण मिश्र के रहते छात्र बहुत ज्यादा परेशान हुए थे और सातपुते जी के प्राचार्य रहने से छात्रों की काफी परेशानियां दूर हुई थी,, अतःछात्रों ने मांग की है कि रंजीत सातपुते को ही महाविद्यालय और छात्र हित व भविष्य को देखते हुए प्राचार्य रहने दिया जाए,,और जारी आदेश को निरस्त किया जाए,, पांच दिवस में इस मांग पर कार्यवाही की जाए,,अन्यथा की स्थिति में समस्त छात्र चरणबद्ध आंदोलन के लिए बाध्य होंगे,, गौरतलब है कि आखिरकार जब छात्र पूर्व प्रभारी प्राचार्य पर आरोप लगा रहे हैं और वर्तमान प्राचार्य को स्थाई रूप से रखने मांग कर रहे हैं तो छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ क्यों क्या शिक्षा जैसी चीजों में राजनीति करना उचित है,, आखिर जिसके ऊपर आरोप लगे और उसे हटाया गया उसे फिर प्राचार्य बनाया जाना क्या उचित होगा जबकि वर्तमान प्राचार्य की कार्यशैली से छात्र खुश हैं और पढ़ाई का स्तर भी बढ़ा है,, क्या आयुक्त महोदय को अपने फैसले पर पुनर्विचार नहीं करना चाहिए,,खैर छात्रों ने तो आवेदन सौंप दिया है और आंदोलन की बात कही है अब देखने वाली बात होगी कि महाविद्यालय प्रबंधन क्या फैसला लेता है,,,,



